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Department of Agriculture

Himachal Pradesh

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      Himachal Pradesh

        किस्में

        विभिन्न क्षेत्रों के लिए मटर की उन्नत किस्में:

        किस्में

        विशेषताएँ

        अगेती किस्में:
        अरकल
        • ● बौनी, झुर्रीदार, बीज गहरे हरे रंग व सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म, 8-9 दानों वाली अन्दर को मुड़ी हुई फलियां, अधिक उपज के लिए बीजाई सितम्बर के पहले पखवाड़े में करनी चाहिए।
        • ● औसत पैदावार 50-60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।
        पालम त्रिलोकी
        • ● यह किस्म ‘अरकल’ से लगभग 7 से 10 दिन पहले फूल की अवस्था में आ जाती है।
        • ● इसकी फलियां हल्की अन्दर को मुड़ी हुई, लम्बी, चककीली, आकर्षक व हरे रंग की, 8-10 दानों वाली होती हैं।
        • ● पौधे मध्यम ऊंचाई के व बीजाई के लिए सितम्बर का पहला पखवाड़ा उपयुक्त है।
        • ● औसत पैदावार 65-70 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।
        आजाद पी-3
        • ● बौनी, झुर्रीदार बीज, 8-9 दोनों वाली लम्बी व हरे रंग की फली, आजाद पी-1 से 7 से 10 दिन जल्दी तुड़ान देने वाली तथा अधिक पैदावार 100 110 क्विटल/हैक्टेयर, लाहौल क्षेत्र के लिए उपयुक्त।
        मटर अगेता
        • ● बौनी किस्म, अरकल से 7 दिन पहले तैयार होती है तथा 10-15 प्रतिशत अधिक उपज देती है।
        • ● बीज उगने की बढ़िया क्षमता (100 प्रतिशत) व प्रदेश के क्षेत्र-1 तथा क्षेत्र-2 के लिए उपयुक्त।
        मुख्य मौसम की किस्में:
        पंजाब-89
        • ● यह किस्म अधिक पैदावार देने वाली लम्बी, और आकर्षक चमकदार हरी फलियों वाली (10-12 सै. मी. लम्बी) और प्रत्येक फली में 9-12 दाने होते हैं।
        • ● यह मध्यम तैयार होने वाली मीठे दानों वाली किस्म है।
        • ● पहली दो तुड़ाईयों लगभग 75 प्रतिशत फसल मिल जाती है तथा इस किस्म की औसत पैदावार 135 क्विटल प्रति हैक्टेयर है तथा यह किस्म चूर्णलासिता रोग के लिए प्रतिरोधी है।
        पालम सुमूल
        • ● यह मध्यम परिपक्व किस्म है जिसमें पौधे मध्यम ऊँचाई के (75-80 सेंमी), 15-20 फली / पौधे लगते हैं और फली बहुत लंबी (12-15 सेंमी), गहरे हरे रंग और चपटी होती है जिसमें 8-10 बीज/फली होती है।
        • ● औसत उपज क्षमता 100-120 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।
        • ● यह स्वाद में मीठा, 45-48 शेलिंग प्रतिशत के साथ और चूर्णलासिता फफूंदी रोग के लिए प्रतिरोधी है।
        हिम-पालम मटर-1
        • ● यह प्रजाति मध्य परिपक्वता तथा बढबार में मध्यम ऊँचाई की है।
        • ● यह उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में लगभग 70 दिनों में जबकि मध्यम तथा निचले पर्वतीय क्षेत्रों में 100-125 दिनों में पहली तुड़ान के लिए तैयार हो जाती है।
        • ● इसकी फलियाँ आकर्षक, लंबी (10-12 सेंमी), 8-12 दाने / फली, गहरे हरे रंग की हैं, छीलन / शैलिंग क्षमता 50% और ताजे दाने तुलनात्मक रूप से मोटे हैं।
        • ● इसकी औसत उपज क्षमता 115-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
        • ● यह किस्म हिमाचल प्रदेश के निम्न, मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में मुख्य / बेमौसमी फसल के लिए उपयुक्त है।
        हिम-पालम मटर-2
        • ● मुख्य मौसम की यह किस्म 50-90 सें.मी. ऊँची व 2-3 प्राथमिक शाखाओं युक्त है।
        • ● 8-10 दानों वाली, अच्छी तरह भरी, तल भाग में अन्दर की तरफ अंचित फलियों वाली किस्म की 50% शेलिंग है तथा औसत उपज 120-150 क्विंटल / हेक्टेयर है।
        • ● ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में पहले तुड़ान के लिए लगभग 75 दिनों में तथा मध्य जलवायु वाले क्षेत्रों में लगभग 135 दिनों में तैयार हो जाती है। हिमाचल प्रदेश के सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
        पालम प्रिया
        • ● अधिक पैदावार देने वाली प्रजाति व चूर्णलासिता रोग के लिए प्रतिरोधी, सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है इसकी पैदावार 120-130 क्विटल प्रति हैक्टेयर है।
        मीठी फली / स्नो पी
        हिम पालम मीठी फली-1
        • ● यह प्रजाति मध्य परिपक्वता तथा बढबार में मध्यम ऊँचाई (50-60 सेंमी) की है।
        • ● यह उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बेमौसमी फसल के तौर में लगभग 60-70 दिनों में जबकि मध्यम तथा निचले पर्वतीय क्षेत्रों में 110-125 दिनों में प्रथम तुड़ान के लिए तैयार हो जाती है।
        • ● इसकी फलियां आकर्षक, मध्यम लंबी (8-10 सेंमी), हरे रंग की, सपाट और चर्मपत्र परत से मुक्त हैं।
        • ● इसकी औसत उपज क्षमता 110-130 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है यह प्रजाति चूर्णलासिता फफूंदी रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी क्षमता रखती है।
        • ● यह किस्म हिमाचल प्रदेश के निम्न, मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में मुख्य / बेमौसमी फसल के लिए उपयुक्त है।
        हिम पालम मीठी फली-2
        • ● यह प्रजाति मध्य परिपक्वता तथा बढ़बार में मध्यम ऊँचाई (60-80 सेंमी), अफिला / तंतुदार है।
        • ● यह उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बेमौसमी फसल के तौर में लगभग 70-75 दिनों में जबकि मध्यम तथा निचले पर्वतीय क्षेत्रों में 110-125 दिनों में पहली तुड़ान के लिए तैयार हो जाती है।
        • ● इसकी फलियां आकर्षक, मध्यम लंबी (8-10 सेंमी), चटक हरे रंग की, सपाट और चर्मपत्र परत से मुक्त हैं।
        • ● इसकी औसत उपज क्षमता 80-100 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।
        • ● यह प्रजाति चूर्णलासिता फफूंदी रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी क्षमता रखती है।
        • ● यह किस्म हिमाचल प्रदेश के निम्न, मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में मुख्य / बेमौसमी फसल के लिए उपयुक्त है।