✉  krishibhawan-hp@gov.in       ☎ 0177-2830162

✉  krishibhawan-hp@gov.in       ☎ 0177-2830162

agriculture department himachal pradesh logo

Department of Agriculture

Himachal Pradesh

    agriculture department himachal pradesh logo

    Department of Agriculture

      Himachal Pradesh

        कीट प्रबंधन

        आक्रमण / लक्षण

        नियंत्रण

        टिड्डे : इसके शिशु व प्रौढ़ नर्म पत्तों, टहनियों व दुधिया दानों से रस चूसते हैं। इससे बीज में चूसने वाले स्थान पर भूरा/काला धब्बा पड़ जाता है तथा पैदावार में कमी आ जाती है।

        1. कीट के प्रकट होते ही 1250 मि.ली. क्लोरपाईरिफॉस 20 ई.सी. को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।
        2. मेढ़ों से खरपतवारों व घासों को निकाल दें।

        काला भृंग: रोपाई के तुरन्त बाद यह कीट प्रकट होता है और पौधे के दबे भाग को खाता है। पौधे मुरझा कर मर जाते हैं।

        बिजाई के समय 2 लीटर क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी को 25 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर प्रति हैक्टेयर डालें।

        धान का बग: प्रौढ़ व शिशु दाना बनने की शुरूआती अवस्था में दूध चूसते हैं । दाने बनने की अवस्था से पहले नये नर्म पत्तें तथा तने पर भी यह कीट आक्रमण करता है। इससे बीज में चूसने वाले स्थान पर भूरा/काला धब्बा पड़ जाता है।

         

        1. खरपतवार व अन्य घासों को निकाल दें।
        2. अंड़ों, शिशुओं व प्रौढ़ कीटों को एकत्रित कर नष्ट कर दें।
        3. फूल आने से पहले 1250 ग्राम कार्बरिल 50 डब्ल्यू पी (सेविन) का 500 लीटर पानी में प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।
        नोट: कीटनाशक का छिड़काव तभी करें यदि 100 बालियों पर 10 बग हों।

        हिस्पा: लार्वे व प्रौढ़ दोनों ही पौधों को ग्रस्त करते हैं। लार्वे पत्तों के अंदर जाकर सफेद धारियां बनाते हैं। ग्रस्त पत्ते सूखकर मर जाते हैं।

        1. मेंढ़ों से घास आदि निकाल दें।
        2. फसल में 600 मि.ली. मिथाइल पैराथियान 50 ईसी. (मैटासिड) को 500 लीटर पानी प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।
        3. रोपाई के 10 दिन बाद या 40 दिन की फसल में 25 कि.ग्रा. कारटाप 4 जी. (पादान) प्रति हैक्टेयर 3-4 सै.मी. खड़े पानी में डालें । पानी को 2-3 दिन के लिए खड़ा रहने दें।
        4. रोपाई के 10 दिन होने पर 1250 मि.ली. क्लोरपाईरिफॉस 20 ई.सी. 500 लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर फसल पर छिड़काव करें, पहले छिड़काव के 40 दिन बाद फिर दोबारा क्लोरपाईरिफास या नीमाजाल (3 मि.ली. प्रति लीटर पानी) या ईकोनीम (5 मि.ली. प्रति लीटर पानी) से छिड़काव करें।

         

        नोट: कीटनाशक का छिड़काव तभी करें यदि 10 प्रतिशत से अधिक फसल कीट से ग्रसित हो।

        तना छेदक: लार्वे तने को अन्दर से खाकर फसल को हानि पहुंचाते हैं। तना सूख जाता है तथा सफेद बालियां बनती हैं । सफेद बालियों में दानें नहीं बनते तथा यह बालियां खींचने पर आसानी से बाहर निकल आती हैं। इस कीट का आक्रमण जुलाई से अक्तूबर तक होता है।

        1. रोपाई के 10 दिन बाद 33 कि.ग्रा. कार्बोफ्यूरॉन 3 जी (फ्यूराडान) प्रति हैक्टेयर 3-4 सै.मी. खड़े पानी में डाले।
        2. फसल में 500 मि.ली. मिथाइल पैराथियान 50 ई.सी. (मैटासिड) को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।

         

        नोट: कीटनाशक का छिड़काव तभी करें यदि 5 प्रतिशत या उससे अधिक आक्रमण हो।

        पत्ता लपेटक: सुण्डियां छोटे-छोटे पौधों के पत्तों को किनारों से लपेट लेती है और उसके अंदर रहकर पत्तों को खाती हैं।

        1. कीटग्रस्त पत्तों को काट दें।
        2. खरपतवारों को, विशेषकर घासीय किस्मों के खरपतवारों को निकाल दें।
        3. फसल में कीट के प्रकट होते ही 1250 मि.ली. क्लोरपाईरिफॉस 20 ई.सी. को 500 लीटर पानी में प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।
        धान का फुदका : प्रायः दो प्रकार का होता हैः
        भूरा और सफेद पीठ वाला।
        भूरा फुदका सिंचित धान में पाया जाता है। तथा यह बालियां बनने की अवस्था में काफी नुकसान करता है।

        सफेद पीठ वाला फुदका प्रायः भूरा फुदका प्रतिरोधी धान की फसल में पाया जाता है। कीटों के प्रौढ़ व शिशु अगस्त-सितम्बर में पौधों से रस चूसते हैं। कीट प्रकोप से खेतों में ग्रस्त फसल का गोलाकार क्षेत्र दिखाई देता है जोकि पहले पीले रंग का तथा बाद में सूखकर भूरे रंग में बदल जाता है। इसे ‘हॉपर बर्न’ कहा जाता है।

        फसल में कीट के प्रकट होते ही 1250 मि.ली. क्लोरोपाईरिफॉस 20 ई.सी. (0.05 प्रतिशत) या 1500 मि.ली. कार्बारिल (50) डब्ल्यू.पी.) को 500 लीटर पानी में प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।

        केस वर्म: कीट का प्रकोप उन खेतों में अधिक होता है जिनमें पानी की निकासी उचित ढंग से न हो। इस कीट की सुण्डियां पत्तों के सारे भाग को खा जाती हैं और केवल शिराएं रह जाती हैं। ग्रसित फसल ऐसे प्रतीत होती है जैसे कि फसल को कैंची से काट दिया गया हो। सुण्डियां अपने आपको पत्ते के थोडे भाग में लपेट लेती हैं जो आसानी से गिर जाती हैं और पानी की सतह पर तैरती हुए नजर आती हैं। सुण्डियां पुराने पत्तों को छोड़कर नए पत्तों पर आक्रमण करती हैं। इसका आक्रमण प्रायः सितम्बर माह में अधिक देखने को आता है।

        1. खेतों से पानी निकाल दें।
        2. 125 मि.ली. सपीनोसेड 45 ई.सी. या 1250 मि. ली. क्लोरपाईरिफॉस 20 ई.सी. को 500 लीटर पानी में घोलकर कीट के आक्रमण होते ही छिड़काव करें।
        3. यदि आवश्यकता हो तो 20 दिन के बाद फिर छिड़काव करें।

        चैफर बीटल: सिट्टे के निकलते ही यह कीट दानों को खोलकर दूधिया भाग को खा जाता है। इस कीट के प्रकोप से सिट्टे में खुले हुए खाली दाने बनते हैं। यह कीट पहाड़ी इलाकों में धान का मुख्य कीट बन चुका है।

        इस कीट का आक्रमण होते ही 1250 मि.ली. क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिडकाव करें।