खरपतवारों की रोकथाम
● मक्की की फसल में खरपतवार की रोकथाम बिजाई से 20-30 दिनों के बाद बहुत आवश्यक है ताकि फसल को दी गई खाद मिल सके व उपज में बढ़ोतरी हो सके । हाथ से खरपतवार निकालने के लिए न केवल अत्याधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है अपितु कई बार लगातार बारिशें होने के कारण यह कार्य कठिन भी हो जाता है। अतः रासायनिक विधि द्वारा खरपतवारों की रोकथाम एक तरफ तो सस्ती है तो दूसरी तरफ आरम्भ से ही खरपतवारों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रभावशाली है।
● मक्की की अकेली व फलीदार फसलों (सोयाबीन आदि) की मिश्रित खेती में फलूक्लोरेलिन 45 ई.सी., 1.0 कि.ग्रा. स.प. (बासालिन 2.25 लीटर) प्रति हैक्टेयर बिजाई से पहले 750-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। यदि मक्की में माश / अरहर की बिजाई की हो तो बिजाई के 5 सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई करें।
● नीला फुलणू (एक वर्षीय प्रजाति) मक्की की फसल में उस समय आता है जब फसल में नर व मादा फूल आते हैं। यद्यपि इसका मक्की की फसल में कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु यह अगली रबी की फसल में भूमि की तैयारी में बाधा डालता है। इसका नियन्त्रण मक्की में अनुमोदित खरपतवार नाशक एट्राजीन जिसका छिड़काव मक्की के अंकुरण से पहले किया जाता है, से हो जाता है। इसके लिए मक्की की नर व मादा फूल की अवस्था में नीला फुलणू में 2-3 पत्ते आने पर एट्राजीन की अनुमोदित से आधक मात्रा या 2,4-डी. सोडियम 1.0 कि. ग्रा. (फरनोक्सान 1.25 कि. ग्रा.) प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें । इसकी रोकथाम ग्लाईफोसेट 1.0 कि.ग्रा. 750-800 लीटर पानी में नीला फुलणू के पौधों पर फूल आने से पहले सीधा छिड़काव करने से भी कर सकते हैं। नीला फूलणू (बहुवर्षीय प्रजाति) की रोकथाम ग्लाईसोफेट द्वारा ऊपर लिखित मात्रा से की जा सकती है।
● मोथा खरपतवार के नियन्त्रण के लिए ग्लाईसोफेट (750 मि.ली.) और अमोनियम सल्फेट उर्वरक (3.75 कि. ग्रा.) के मिश्रण को 750 लीटर पानी में इस खरपतवार की सशक्त बढ़ौतरी की अवस्था में गेहूं की कटाई के बाद या मक्की की बिजाई के सात दिन पहले छिड़काव करें। मक्की की बिजाई के 30-40 दिनों के बाद ग्लाइफोसेट (750 मि.ली) प्रति हैक्यर का मोथा के पौधों पर सीधा छिड़काव करने से भी इसकी अच्छी रोकथाम हो जाती है। यह ध्यान रहे कि यह रसायन मक्की के पौधों पर जरा भी न गिरे।