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Department of Agriculture

Himachal Pradesh

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      Himachal Pradesh

        जुताई व बिजाई

        i. भूमि की तैयारी

        गेहूं विभिन्न प्रकार की भूमि में उगाई जाती है। अच्छे जल निकास वाली मध्यम दोमट भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। एक गहरा हल चलाने के बाद देसी हल से 1-2 जुताईयां करें ताकि खेत अच्छी तरह से तैयार हो जाए। यदि धान के बाद गेहूं की खेती करनी हो तो एक और जुताई करनी चाहिए। मिट्टी के ढेलों को अधिक से अधिक तोड़ देना चाहिए।

        ii. बीज

        समय पर की गई बिजाई के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त है लेकिन बारानी क्षेत्रों में 20 दिसंबर के बाद बिजाई के लिए 150 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर उपयुक्त होता है।

        iii. बिजाई का ढंग

        किसान प्रायः छट्टा देकर बीज बोते हैं परंतु इससे खरपतवार निकालने में कठिनाई होती है और पैदावार भी कम होती है। इसलिए गेहूँ को 22 सैं.मी. दूरी की कतारों में ही बोना चाहिए। बीज को 5 सै.मी. से अधिक गहरा नहीं डालना चाहिए।

        iv. बिजाई का समय

        अच्छी पैदावार लेने के लिए गेहूँ की बिजाई सही समय पर करनी चाहिए। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बिजाई का समय निम्नलिखित है:

        क्षेत्र

        सिंचित

        असिंचित

        (क) समय से बिजाई
        निचले पर्वतीय क्षेत्र अक्तूबर के अंतिम सप्ताह – 15 नवम्बर अक्तूबर के अंतिम सप्ताह – 15 नवम्बर
        मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्र यथोपरि यथोपरि
        ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र 1 अक्तूबर से 15 अक्तूबर 1 अक्तूबर से 15 अक्तूबर
        (ख) पछेती बिजाई
        निचले पर्वतीय क्षेत्र दिसम्बर के अन्त तक वर्षा पर निर्धारित परंतु दिसंबर के अंत तक
        मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्र यथोपरि यथोपरि
        ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र 1 अक्तूबर तक 15 अक्तूबर तक

        यदि देरी से बिजाई की जाये तो उत्पादन में कमी आती है।