किस्में
विभिन्न क्षेत्रों के लिए धान की अनुमोदित किस्में:
किस्में |
विशेषताएँ |
सुकारा धान-1
|
• यह एक मध्यम ऊंचाई (88-110 सेंटीमीटर), जल्दी तैयार होने वाली किस्म (110-120 दिन) है। • इस किस्म के पौधे सीधे, मध्यम बालियां, दाने लम्बे, पतले, व बिना बालों के होते हैं। बारानी परिस्थितियों में औसत उपज 28 क्विंटल / हैक्टेयर है। • यह किस्म ब्लास्ट झुलसा, जीवाणु झुलसा तथा बदरंगा रोग के प्रति प्रतिरोधी है। कीटों से भी इस किस्म में ज्यादा क्षति नहीं होती है। • इस किस्म को बारानी परिस्थितियों में सीधी बिजाई द्वारा मध्यवर्ती ऊंचाई के क्षेत्रों के लिए उगाने की सिफारिश की गई है। यह किस्म रोपाई की परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देती है। |
एच.पी.आर.-2143 |
• यह एक मध्यम लम्बाई की 87-105 सें.मी. 125-135 दिनों में तैयार होने वाली तथा झुलसा रोग प्रतिरोधी किस्म है। • इसे सिंचित बिजाई के लिए मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अनुमोदित किया गया है। • यह किस्म लुंग विधि से बिजाई के लिए उपयुक्त नहीं है। • इसकी बालियां लम्बी (27.3 सेंमी.) तथा अधिक दानों (195) वाली होती है। • दाने लम्बे व पतले होते हैं। • इसकी औसत उपज 38.6 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। |
एच.पी.आर.-1068 |
• यह किस्म भी मध्यम पहाड़ी इलाकों के सिंचित क्षेत्रों के लिए अनुमोदित की गई है। यह मध्यम लम्बाई की जल्दी पकने वाली (120-125 दिन) किस्म है। • इसकी बालियां लम्बी (23.6 सें.मी.), दाने लम्बे और मोटे होते हैं जिनका प्रति हजार दानों का भार 30 ग्राम होता है। • यह एक ब्लास्ट प्रतिरोधी किस्म है जिसकी औसत पैदावार 44.5 क्विंटल / हैक्टेयर है। |
आर.पी.-2421 |
• यह मध्यम लम्बाई, जल्दी पकने व अधिक उपज देने वाली किस्म है इसे रोपाई एवं सिंचित परिस्थितियों के लिए अनुमोदित किया गया है। • यह 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है और इसके दाने मध्यम मोटे होते हैं। • यह धान की मुख्य बिमारियों के लिए रोग प्रतिरोधी है। • इसकी उपज 38 क्विटल/हैक्टेयर के लगभग है। |
एराइज 6129 | • यह निजी क्षेत्र द्वारा विकसित धान की वर्णसंकर किस्म है जिसे प्रदेश के निचले और 1000 मीटर से कम ऊंचाई वाले मध्यवर्ती क्षेत्रों के सिंचित इलाकों के लिये अनुमोदित किया गया है। • इस किस्म के दाने मध्यम लम्बे व पतले होते हैं और यह लगभग 135-138 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। • यह झुलसा रोग प्रतिरोधी है परन्तु इसमें आभासी कांगियारी का प्रकोप होता है। • इसकी औसत उपज 50-54 क्विंटल / हैक्टेयर के लगभग है। |
कस्तूरी |
• यह मध्यम लम्बाई व अधिक उपज देने वाली सिंचित क्षेत्रों के लिए बासमती की किस्म है जो 1000 मीटर तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह मध्यवर्ती क्षेत्रों में 135-145 दिनों में तैयार हो जाती है। • इसके दाने लम्बे, पतले व खुशबूदार होते हैं। • यह झुलसा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। • इसकी उपज 30 क्विंटल/ हैक्टेयर के लगभग है। |
वरुण धान |
• इस किस्म का अनुमोदन सिंचित पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष कर कुल्लू, मण्डी और शिमला के क्षेत्रों के लिए किया गया है। • यह किस्म मध्यम बौनी (81 सै.मी.), जल्दी पकने वाली (140-145 दिन) और खेत में धान की मुख्य बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है। • इस किस्म में ठंड सहने की क्षमता है। • यह नोरिन 18 और नग्गर धान का विकल्प है। • सिंचित क्षेत्रों में इसकी औसत पैदावार 32 क्विंटल / हैक्टेयर है। |
भृगु धान |
• इस किस्म का 1400 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले सिंचित क्षेत्रों – विशेषकर कुल्लू घाटी व ऐसे ही अन्य क्षेत्रों के लिए अनुमोदन किया गया है। • यह शीघ्र तैयार होने वाली बौनी किस्म है जो ठण्ड को सहन कर सकती है। • इसके दाने छोटे व मोटे तथा चावल लाल रंग के हैं। सामान्य खाद देने पर यह किस्म गिरती नहीं है व दाने भी नहीं झड़ते हैं। • यह ब्लास्ट, भूरा धब्बा, तुष धब्बा, पर्णच्छद बिमारियों व तना छेदक और पत्ता लपेट कीट के लिए प्रतिरोधी किस्म है। • इसकी औसत उपज 34 क्विंटल / हैक्टेयर के लगभग है। |
पालम लाल धान-1 |
• इस किस्म का अनुमोदन 650 से 1500 मी. ऊंचाई वाले सिंचित क्षेत्रों के लिए किया गया है। • इसके पौधों की ऊंचाई 125 सें. मी. तथा बालियाँ 26.8 सें. मी. होती है। प्रत्येक बाली में औसतन 200 दाने होते हैं। • यह लगभग 125-135 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। • यह झुलसा रोग के लिए प्रतिरोधी है तथा इसमें सूक्ष्म तत्व लोहा, जस्ता एवं मैगनीज़ ज्यादा मात्रा में होता है। • औसत उपज 35 से 42 क्विंटल / हैक्टेयर है। |
पालम बासमती-1 |
• इस किस्म का अनुमोदन 650 मी. से 1500 मी. तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए किया गया है। • यह खुशबूदार किस्म है जिसके पौधों की ऊंचाई 90-105 सें. मी. होती है। • इसके दाने लम्बे, पतले (7.57 मि. मी.) तथा पारदर्शी होते हैं। • यह किस्म 125-130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। • औसत उपज 47-48 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। |
हिम पालम धान-1 |
• इस किस्म का अनुमोदन निचले व मध्यवर्ती क्षेत्रों में असिंचित भूमि (1000 मी. से कम ऊंचाई वाले) के लिए किया गया है। • पौधा मध्यम ऊंचाई का, बालियाँ लम्बी तथा दाने छोटे, मोटे व पारदर्शी होते हैं। • यह किस्म ब्लास्ट रोग से प्रतिरोधी है। • यह लगभग 120 से 125 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। • औसत उपज 30-32 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। |
हिम पालम धान-2 |
• इस किस्म का अनुमोदन निचले व मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचित भूमि के लिए किया गया है। • पौधे की ऊंचाई 120 सें. मी. तथा पकने की अवधि 120 से 125 दिन होती है। • बालियाँ लम्बी (23 सें. मी.) तथा अधिक दानों वाली होती है। इस किस्म में लगभग 12 प्रतिशत दाने खाली होते हैं। दाने मध्यम मोटाई के तथा पारदर्शी होते हैं। • यह किस्म ब्लास्ट (पत्ती व नेक), तना छेदक कीट और पत्ता लपेटक कीट के लिए प्रतिरोधी है। • औसत उपज 45-50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। |
हिम पालम लाल धान-1 |
• लाल धान की यह जल्दी पकने वाली (120 से 125 दिन) उन्नत किस्म है जिसे प्रदेश के निचले व मध्यवर्ती असिंचित क्षेत्रों में सीधी बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया है। • यह झुलसा रोग प्रतिरोधी किस्म है। • इस किस्म के दाने लम्बे व मोटे होते हैं। • इसकी औसत उपज 27-31 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। • यह हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मेघालय व मणिपुर के लिए भी उपयुक्त पाई गयी है। |
अधिक उपज देने वाली संकर धान की किस्में :
|