स्थानीय नामः कोदरा/ कोदो
प्रमुख खेती वाले क्षेत्रः शिमला, चंबा, मंडी और सिरमौर
कोदरा (Paspalum scrobiculatum) जिसे कोदरा, कोदो के रूप में भी जाना जाता है। दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न हुई फसल है जिसे भारत में 3000 साल पहले से उगाया जाता है।
हिमाचल में यह शिमला, चंबा, मंडी और सिरमौर जिलों के कुछ क्षेत्रों में उगाया जाता है।
कोदरा कम उपजाऊ मिट्टी में उगाया जाता है। यह फसल सूखा प्रतिरोधी क्षमता के कारण शुष्क व कम उपजाऊ भूमि में सफलतापूर्वक उग जाता है।
अन्य मिलेट के मुकाबले यह अपेक्षाकृत लंबी अवधि की फसल है तथा 100-140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।



कोदरे की खेती
मिट्टी
गहरी, दोमट, उपजाऊ मिट्टी जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो इसकी खेती के लिए अति उपयुक्त है। कोदरे की फसल पथरीली व कम उपजाऊ मिट्टी में भी उगाई जा सकती है।
जलवायु
यह फसल 500-600 मि. मी. की वर्षा के साथ शुष्क और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती है।
बीज एवं बुआई का समय
कोदरे की फसल की बुवाई पंक्ति से पंक्ति 22.5 से.मी. और पौधे से पौधे 10 से.मी. के दूरी पर मानसून की शुरूआत या मध्य जून से जुलाई के अंतिम सप्ताह में की जाती है। कोदरे के बीज को 3-4 से.मी. गहरा लगाया जाना चाहिए। 8-10 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की बीज दर लाइन बुवाई और 15 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर छट्टा विधि के लिए उपयुक्त है।
खाद एवं उर्वरक
भूमि की तैयारी के समय 5-7.5 टन प्रति हैक्टेयर देसी खाद खेत में मिलाएं। रसायनिक उर्वरक की अनुमोदित मात्रा 40:20:20 किलोग्राम एन पी के प्रति हैक्टेयर है। पोटाशियम और फास्फोरस की सम्पूर्ण मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बिजाई के समय मिलाएं। नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा को बिजाई के 35-40 दिन बाद फसल में डाले।
खरपतवार नियंत्रण
लाइन बुआई में एक निराई-गुड़ाई और छिट्टा विधि से बुआई में दो बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
सिंचाई
कोदरा उत्पादन के लिए न्यूनतम सिंचाई की आवश्यकता होती है। शुष्क मौसम में पानी की कमी होने पर सिंचाई के लिए अगर जल उपलब्ध हो तो बिजाई के 25-30 दिन पर पहली सिंचाई और 40-45 दिन पर दूसरी सिंचाई दी जानी चाहिए।
फसल कटाई
फसल सितम्बर-अक्टूबर के महीने में पक कर तैयार हो जाती है और 15-18 क्विटल प्रति हेक्टेयर अनाज और 30-40 क्विटल प्रति हेक्टेयर भूसे की उपज प्रदान करती है।
पौष्टिक गुण
कोदरा में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर और खनिज होते हैं। मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए इसे चावल के विकल्प के रूप में अनुशंसित किया जाता है। इसमें लगभग 37 से 38 प्रतिशत आहार फाइबर शामिल है, जो अन्य अनाजों की तुलना में सबसे अधिक है। इसकी वसा में उच्च पोली असंतृप्त फैटी एसिड होता है।
कोदरा एक अत्यधिक पौष्टिक व संतुलित आहार है जो प्रोटीन, फाइबर के साथ-साथ नियासिन और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिन, तांबा, मैंगनीज और फास्फोरस जैसे खनिजों का एक प्रमुख स्त्रोत है।
पौष्टिक तत्वों की मात्रा
पोषक तत्व |
पोषण मूल्य (प्रति 100 ग्राम) |
कार्बोहाइड्रेट |
65.9 ग्राम |
प्रोटीन |
8.3 ग्राम |
वसा |
1.4 ग्राम |
क्रूड फाइबर |
9.0 ग्राम |
खनिज पदार्थ |
2.6 ग्राम |
कैल्शियम |
27 मिलीग्राम |
फास्फोरस |
188 मिलीग्राम |
आयरन |
0.5 मिलीग्राम |
स्वास्थ्य लाभ
रजोनिवृत्ति के बाद उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदय रोग की बीमारियों से ग्रस्त महिलाओं के लिए कोदरा का नियमित सेवन अत्यधिक फायदेमंद है।
कोदरे का सेवन पेट को भरा-भरा महसूस करवाता है और अत्यधिक खाने पर अंकुश लगाकर अच्छे स्वास्थ्य भार प्रबंधन में अनिवार्य रूप से सहायक होता है। आम तौर पर इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो गैस, कब्ज और पेट से संबंधित समस्याओं के समाधान में मदद करते हैं।
रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में कोदरे का सेवन उपयोगी है और एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण त्वचा सम्बन्धि चोटों के इलाज में भी सहायक होता है।
मैग्नीशियम में समृद्ध होने के कारण कोदरा उच्च रक्त चाप को कम रखने में सहायक होता है।
रूधिर तंत्रिका प्रणाली के सुचारू कार्यः खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने व शरीर से हानिकारक पदार्थों के विसर्जन के कारण रूधिर तंत्रिका प्रणाली के सुचारू कार्य में सहायक है।
कोदरा के एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण यह ऑक्सिडेटिव तनाव को दूर करने में सहायक है जिससे कैंसर का खतरा घट सकता है, और शरीर (मुख्यतः गुर्दे) से अन्य विषाक्त पदार्थों को भी साफ करता है, जिससे कैंसर रोगियों के लिए भी यह सहायक है। मिलेट्स में पाया जाने वाला लिनोलेनिक ट्यूमर विरोधी होता है।
उपयोगिता
- कोदरा का सेवन न केवल एक अनाज अपितु कई तरह के व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला के रूप में किया जाता है।
- इसे चावल के विकल्प के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
- भारत में इससे डोसा, उपमा और इडली जैसे नाश्ते तैयार किए जाते हैं। कोदरा के आटे का उपयोग चपाती, इडली, दलिया, चीला के अतिरिक्त विभिन्न व्यंजनों के लिए भी किया जाता है।
कोदरे के मूल्यवर्धित उत्पाद
उपमा
सामग्री | मात्रा | विधि |
कोदरा | 1 कप |
दो या तीन बार कोदरे को धोएं, फिर पानी को निकाल कर कोदरे को एक तरफ रख दें। प्याज, हरी मिर्च और सब्जियों को बारीक काट लें और अदरक को पीस लें। प्रेशर कुकर में तेल गरम करें, सरसों के बीज डालें, काले चने की दाल, करी पत्ते और हरी मिर्च डालें। जब दाल सुनहरी भूरी हो जाए तो प्याज, अदरक, हल्दी डालें, हिलाएं जब तक की सारी सामग्री भूरी न हो जाए। 2 से 3 मिनट के लिए गाजर, बीन्स और आलू को पकाएं व कोदरा डालें। 1 मिनट के लिए पकाएं जब तक सब कुछ आपस में न मिल जाए। फिर पानी और नमक डालें। जब पानी उबलने लगे तो ढक्कन को बंद कर, 3 सीटी तक मध्यम आंच पर पकाएं। उबाल कम होने पर ढक्कन खोलें और किसी भी प्रकार की चटनी या सांभर के साथ गर्म-गर्म परोसें। |
करी पत्ते | आवश्यकतानुसार | |
कटा हुआ प्याज | ||
हरी मिर्च | ||
गाजर | ||
बीन्स | ||
आलू | ||
अदरक | ||
सरसों के बीज | ||
काले चने की दाल | ||
पानी और तेल |
पुलाव
सामग्री | मात्रा | विधि |
कोदरा | 1 कप |
एक छोटे प्रेशर कुकर को गर्म करें और तेल/धी में दालचीनी, सौंफ और तेज पत्ता डालें प्याज और अदरक लहसुन का पेस्ट डालें। कटी हुई सब्जी, पुदीने की पत्तियां और नमक डालें। इसमें धोया हुआ कोदरा सुखाकर डालें और अच्छी तरह मिलाएं और पकाएं। पानी, नमक डालें और उबाल आने तक अच्छी तरह से मिलाएं और मध्यम या कम आंच पर एक सीटी तक पकाएं। धनिया पत्तियों से गार्निश करें और परोसें। |
पानी | 1 और 1/2 कप | |
कटी हुई गाजर, मटर | 1 कप | |
प्याज | 1 | |
अदरक पेस्ट का | 1 चम्मच | |
हरी मिर्च | 2 | |
पुदीना | 12 | |
नमक | आवश्यकतानुसार | |
तेल/घी | 3 चम्मच | |
दालचीनी | 1 | |
सौंफ | 1 चम्मच | |
तेज पत्ता | 1 |
चीला/ पैनकेक
सामग्री | मात्रा | विधि |
कोदरा | 1/2 कप |
कोदरा, तूर व चना दाल, मूंग, उड़द दाल को 4 घंटे के लिए भिगोएँ। पानी छान कर सामग्री को अलग से रख लें। एक मिक्सर में लाल मिर्च और सौंफ के बीज लें, मिश्रित मिल्लेट्स मिश्रण को मिलाएं और इसे मोटे-दरदरे मिश्रण में पीस लें। कटा हुआ प्याज, धनिया पत्ते और आवश्यक नमक मिलाएं और बैटर तैयार करें। डोसा पैन को गर्म करें, थोड़ा तेल के साथ चिकना करें, गोल चीला बनाएं और सुनहरा भूरा होने तक पकाएं और किनारों को कुरकुरा करें। प्याज और अदरक लहसुन पेस्ट मिलाएं। कटी हुई सब्जी, पुदीने की पत्तियां और नमक मिलाएं। धनिया पत्तियों के साथ गार्निश करें और अपनी पसंद की किसी भी चटनी के साथ गर्म-गर्म परोसें। |
तूर दाल और चना दाल | 1/4 कप | |
मूंग दाल और उड़द दाल | 1 चम्मच | |
लाल मिर्च | 2 | |
सौंफ के बीज | 1/4 कप | |
करी पत्ते | आवश्यकतानुसार | |
धनिया और पुदीने की पत्तियां | ||
नमक |