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Department of Agriculture

Himachal Pradesh

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      Himachal Pradesh

        स्थानीय नामः चीना

        प्रमुख खेती वाले क्षेत्रः किन्नौर, शिमला, कांगड़ा, सिरमौर, चंबा, मंडी और कुल्लू

        प्रोसो मिलेट (Panicum miliaceum) को आमतौर पर चीना के नाम से जाना जाता है।

        इस फसल का जीवन काल काफी छोटा होता है। कुछ किस्में बीजाई के 60 दिन में ही तैयार हो जाती हैं। इसको कम पानी की आवश्यकता होती हैं तथा यह अपेक्षाकृत कम संसाधन मांग वाली फसल है। यह प्राकृतिक और जैविक कृषि प्रणालियों के लिए भी उपयुक्त है।

        इसे चावल की तरह पका कर खाया जाता है या लस्सी के साथ इसका सेवन किया जाता है। चीना जिला चंबा के गद्दी जनजाति के पारंपरिक भोजन का अभिन्न अंग है।

        चीना की खेती

        जलवायु और मिट्टी

        चीना की फसल 10 से 13°C से कम तापमान के प्रति संवेदनशील है, लेकिन सूखा प्रतिरोधी होने के कारण इसे कम पानी की उपलब्धता और शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है।

        चीना फसल की बुआई के लिए हल्की या मध्यम-भारी मिट्टी उत्तम है।

        बीज एवं बुआई का समय

        बीजाई के लिए कतार से कतार की दूरी 16-25 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सै.मी. अनुमोदित है। बीज को 1.5 – 2.0 से. मी. गहरा लगाया जाना चाहिए। बीजाई के लिए 8 – 10 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से बीज की मात्रा आवश्यक है।

        खाद एवं उर्वरक

        भूमि की तैयारी के समय देसी खाद 8-10 टन प्रति हैक्टेयर मिट्टी में मिलाएं व अच्छी पैदावार के लिए उर्वरक की मात्रा 40:20:20 किलोग्राम एन.पी.के. प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें। बुवाई के समय फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा को डालें और पहली सिंचाई में नाइट्रोजन का बाकी आधा हिस्सा फसल में डालें।

        खरपतवार नियंत्रण

        चीना में पहली निराई अंकुरण के 15 से 20 दिनों के बाद व दूसरी निराई पहली निराई के 15-20 दिनों के बाद की जानी चाहिए।

        फसल कटाई

        अगस्त अंत से सितंबर अंत तक चीना की कटाई का उपयुक्त समय है। फसल कटाई की नियमित तारीख निर्धारित करना आसान नहीं है क्योंकि चीना की फसल एक साथ नहीं पकती है। बाली के शीर्ष पर अनाज पहले पकता है, जबकि निचले हिस्सों में अनाज को पकने में अधिक समय की आवश्यकता होती है।

        कटाई के समय अनाज की नमी लगभग 15 – 20 प्रतिशत होनी चाहिए।

        दानों की औसत पैदावार 5 – 6 क्विटल/है. और सूखे चारे की पैदावार 9 – 10 क्विटल/है. के बीच होती है।

        पौष्टिक गुण

        चीना की पौष्टिकता प्रमुख अनाज की फसलों से बेहतर है। यह कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, आयरन और जस्ता जैसे खनिजों का एक अच्छा स्त्रोत है। इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं।

        इसका आवश्यक अमीनो एसिड इंडेक्स 51 प्रतिशत है जो गेहूं की तुलना में अधिक है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और ऊर्जा जैसे प्रमुख पोषण घटक चावल, गेहूं और जौ जैसे लोकप्रिय अनाजों के लगभग पाए जाते हैं। चावल, गेहूं और जौं की तुलना में चीना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो इसे मधुमेह और हृदय रोग वाले लोगों के लिए एक आदर्श भोजन बनाता है।

        पौष्टिक तत्वों की मात्रा

        पोषक तत्व

        पोषण मूल्य प्रति 100 ग्राम

        कार्बोहाइड्रेट 70.2 ग्राम
        प्रोटीन 12.1 ग्राम
        वसा 1.1 ग्राम
        फाइबर 2.2 ग्राम
        खनिज पदार्थ 1.9 ग्राम
        कैल्शियम 14 मिलीग्राम
        फास्फोरस 206 मिलीग्राम
        आयरन 0.8 मिलीग्राम
         

         

        स्वास्थ्य लाभ

        1. मानव शरीर की तंत्रिका तंत्र के सुचारू कार्य हेतु इस फसल के प्रयोग को बहुत अच्छा माना गया है। इसमें बहुत सारे लेसिथिन पाये जाते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से तंत्रिका तंत्र के उचित कामकाज में सहायक है तथा जैसे मनोभ्रंश और अल्जाइमर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

        2. ग्लूटेन मुक्त होने के कारण इसका प्रयोग ग्लूटेन एलर्जी से प्रभावित व्यक्तियों द्वारा दैनिक आहार में उपयोगी है।

        3. चीना के सेवन से उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (HDL) का स्तर बढ़ जाता है। इसमें फाइटिक एसिड भी होता है जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने का काम भी करता है।

        4. इसमें एंटी एजिंग गुण होते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट शरीर से मुक्त कणों (Free Radicles) को हटाने में मदद करते हैं। नियमित आहार में इसे शामिल करने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

        5. इसके दानों में मौजूद प्रोटीन शरीर में ऊत्तकों के निर्माण और रख रखाव में मदद करती है। इसमें उच्च मात्रा में कैल्शियम होता है जो हड्डियों के विकास और रखरखाव के लिए आवश्यक है। यह अन्य बीमारियों के साथ स्तन कैंसर को भी रोकता है।

        उपयोगिता
        1. इसे मुख्य रूप से चावल के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। साबुत अनाज को चावल की तरह उबाला जाता है, भुना जाता है या दलिये के रूप में पकाया जाता है।
        2. इसके आटे को फ्लैट ब्रेड या चपाती के रूप में पकाया जाता है और खीर तैयार करने के लिए दूध के साथ पकाया जाता है।
        3. फसल अवशेष को चारे के रूप में उपयोग किया जाता है।
        4. खीर, इडली, समोसा और बरफी, चीना के कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं।
        चीना के मूल्यवर्धित उत्पाद

        इडली

        सामग्री

        मात्रा

        विधि

        चीना 1 कप

        4-6 घंटे के लिए पानी में उड़द दाल भिगोएँ और पानी छान कर पीस लें।

        बैटर के लिए पीसी उड़द दाल में एक कप चीना, इडली रवा, नमक डालें और रात भर फरमेंट करें।

        बैटर को इडली मोल्ड्स में डालें और 7-10 मिनट के लिए इडली कुकर में पकाएं।

        नारियल की चटनी और सांभर के साथ गर्म-गर्म परोसें।

        इडली रवा 1 कप
        उड़द दाल 1 कप
        नमक आवश्यकतानुसार

         

        बर्फी

        सामग्री

        मात्रा

        विधि

        चीना का आटा 1 कप

        1/4 कप पानी के साथ एक पैन में गुड़/शक्कर गरम करें व एक तार तक पकाएँ व एक तरफ रख लें।

        एक पैन में थोड़ा घी लेकर चीना आटा को तब तक भूनें जब तक कि खुशबू न आ जाए।

        फिर शक्कर की चाशनी और इलायची पाउडर लें और इसे जल्दी से मिलाएं।

        बचा हुआ घी मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए या जब तक कि यह मिश्रण पैन के किनारों को छोड़ न दे तब तक लगातार हिलाएं।

        इसे एक घी लगी थाली में फैलाएं और कटे हुए काजू बादाम के साथ गार्निश करें। इसे ठंडा करें और छोटे टुकड़ों में काटें।

        स्वस्थ और स्वादिष्ट चीना बर्फी तैयार है।

        गुड़ शक्कर 1/2 कप
        घी 2 चम्मच
        पानी 1/4 कप
        इलायची पाउडर 1/8 चम्मच
        कटा हुआ बादाम 1 चम्मच