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Department of Agriculture

Himachal Pradesh

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    Department of Agriculture

      Himachal Pradesh

        फूलगोभी हिमाचल प्रदेश के ऊंचे व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों की एक नकदी फसल है। ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में फूलगोभी बेमौसमी फसल के रूप में गर्मियों में उगाई जाती है।

        फूलगोभी की खेती

        निवेश सामग्री

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति कनाल

        प्रति बीघा

        बीज (ग्राम)

        अगेती किस्म

        750

        60

        30

        पछेती किस्म

        500-625

        40-50

        20-25

        गोबर की खाद (क्विंटल)

        250

        20

        10

        विधि-1

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        250

        20

        10

        सुपरफॉस्फेट (कि. ग्रा.)

        475

        38

        19

        म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि. ग्रा.)

        120

        10

        5

        विधि-2

        12:32:16 मिश्रित खाद (कि. ग्रा.)

        234

        18.7

        9.4

        म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि. ग्रा.)

        54

        4.3

        2.2

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        210

        16.8

        8.5

        खरपतवार नियन्त्रण

        स्टाम्प (लीटर) या

        3

        240 मि. ली.

        120 मि. ली.

        लासो (लीटर) या

        3

        240 मि. ली.

        120 मि. ली.

        गोल (मि. ली.)

        600

        50 मि. ली.

        25 मि. ली.

         

        बीजाई व रोपाई

        फूल गोभी की पौध नर्सरी में तैयार की जाती है। नर्सरी बीजाई का उचित समय इस प्रकार है:

         

        निचले क्षेत्र

        मध्य क्षेत्र

        ऊंचे क्षेत्र

        अगेती

        जून-जुलाई

        अप्रैल-मई

        मध्य ऋतु

        अगस्त-सितम्बर

        जुलाई-अगस्त

        पछेती ऋतु

        अक्तूबर-नवम्बर

        सितम्बर

        अप्रैल-मई

         

        जब पौध 4-5 सप्ताह की हो जाए (10-12 सैं. मी. ऊंची) तो उसको समतल खेतों में शाम के समय रोपाई करें। रोपण के तुरन्त पश्चात् सिंचाई कर दें। पौधों को निम्नलिखित दूरी पर लगाएं।

        दूरी

         

        पौधा से पौधा

        कतार से कतार

        अगेती प्रजातियां

        30-45 सें.मी.

        45 सें.मी.

        मध्य व पछेती प्रजातियां

        45 सें.मी.

        45-60 सें.मी

         

        अनुमोदित किस्में

        किस्में

        विशेषताएँ

        अगेती किस्में
        अरली कंवारी

        इसका फूल क्रीम रंग वाला व छोटे आकार का होता है।

        इसे गर्म व आर्द्र जलवायु (20 से 27 डिग्री सेल्सियस) में उगाया जा सकता है।

        नर्सरी की बिजाई मई में तथा पौध रोपण जून में किया जाता है।

        यह 60-70 दिन में तैयार व औसत उपज 60-90 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।

        पूसा दीपाली

        फूल का रंग सफेद व गठा हुआ।

        इसे गर्म व आर्द्र जलवायु (20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक) में उगाया जाता है।

        नर्सरी की बुआई जून में व पौध रोपण जुलाई में किया जाता है।

        औसत पैदावार 100-150 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।

        पछेती किस्में
        पूसा स्नोबाल-1

        यह शीतकालीन मौसम के लिए उपयुक्त है।

        इसके फूल बनने व विकसित होने के लिए 10-16° सैल्सियस तापमान आवयश्क होता है।

        इसकी बिजाई सितम्बर के मध्य से अक्तूबर के अन्त तक की जा सकती है।

        इसका फूल गठा हुआ मध्यम आकार का व बर्फ की तरह सफेद होता है।

        औसत पैदावार 150-200 किंवटल प्रति हैक्टेयर।

        पूसा स्नोबाल के-1

        इसका फूल बर्फ की तरह सफेद, गठा हुआ व पत्ते अन्दर के फूल को ढकने वाले।

        लगभग 110-120 दिनों में तैयार।

        फूल बनने के लिए तापमान व बोने का समय पूसा स्नोबाल-1 जैसा।

        औसत उपज 175-210 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।

        पालम उपहार

        पूसा स्नोवाल के 1 से 20-25 दिन पहले तैयार व अन्दर के पते फूल को ढक देते हैं, फूल सफेद रंग के व ठोस, ब्लैक रॉट व मृदुरोमिल रोग (डाऊनी मिल्डयू) प्रतिरोधी।

        निचले व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में बीज उत्पादन सम्भव।

        औसत उपज 225-250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।

        सस्य कियाएं

        विधि -1 : खेत में हल चलाने के बाद गली-सड़ी गोबर की खाद व सुपर फास्फेट की पूरी मात्रा तथा यूरिया व म्यूरेट ऑफ पोटाश की आधी मात्रा पौध की रोपाई करते समय डालें । यूरिया की चौथाई मात्रा रोपाई के एक महीने बाद व शेष यूरिया की चौथाई मात्रा तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश की आधी मात्रा फूल बनने के समय दें।

        विधि-2: गोबर की खाद 12:32:16 मिश्रित खाद व म्यूरेट ऑफ पोटाश की सारी मात्रा तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में एक तिहाई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी फूल आने के समय डालें।

        किसी भी खरपतवानाशक दवाई का छिड़काव पौध रोपण से 1-2 दिन पहले कर दें। पत्तों में पीलापन आने पर यूरिया (100-150 ग्राम प्रति 10 ली. पानी में) का स्प्रे करें। वर्षा ऋतु में पौध रोपण मेंढ़ों पर करें तथा पानी के निकास का विशेष ध्यान रखें। दो या तीन बार निराई-गुड़ाई करें। फूल बनना आरम्भ होने के समय पौधों में मिट्टी चढ़ाए। 7-10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें।

        कटाई एवं उपज

        जब फूल ठोस हों व पूरा आकार बना लें तो पौधे को जमीन की सतह से बड़े चाकू या दराती से काट लें। बाहरी पत्तों व तने को काट कर फूल को अलग कर लें।

        उपज

          प्रति हैक्टेयर प्रति बीघा प्रति कनाल
        अगेती प्रजातियां (क्विंटल) 100-150 8-12 4-6
        पछेती प्रजातियां (क्विंटल) 150-225 12-18 6-9

         

        बीज उत्पादन

        फूलगोभी तापमान के लिए अत्याधिक सवेंदनशील होने के कारण इसकी सभी प्रजातियों का बीजोत्पादन हर जलवायु में नहीं किया जा सकता है। पछेती किस्मों का बीज प्रदेश की मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के कुछ चुने हुए क्षेत्रों (सोलन, कुल्लू तथा सिरमौर) में ही किया जाता है। अगेती व मध्यम किस्मों के बीज निचले पर्वतीय क्षेत्रों एवं मैदानी भागों में उत्पादित किए जाते हैं। फूल गोभी एक पर-परागी फसल है तथा अन्य सभी गोभी वर्गीय फसलों से भी इसका परपरागण हो जाता है। इसलिए प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए, गोभी वर्गीय किन्हीं दो प्रजातियों के बीच कम से कम 1000-1600 मीटर का अन्तर होना आवश्यक है। उत्तम गुणवता का बीज पैदा करने के लिए अवांछनीय व रोगी पौधों को वनस्पति बढ़वार के समय, फूल बनने के समय, फूल तैयार तथा फूलते समय निकाल देना चाहिए। बीज उत्पादन के लिए खाद व उर्वरक निम्न मात्रा में डालें।

        निवेश सामग्री

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति बीघा

        प्रति कनाल

        गोबर की खाद (क्विंटल)

        100

        8

        4

        विधि-1

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        300

        24

        12

        सुपरफॉस्फेट (कि. ग्रा.)

        625

        50

        25

        म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि. ग्रा.)

        90

        7

        3.5

        विधि-2

        12:32:16 मिश्रित खाद (कि. ग्रा.)

        312.5

        25

        12.5

        म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि. ग्रा.)

        8.8

        0.7

        0.4

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        244

        19.5

        10

         

        विधि-1: गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की एक-तिहाई मात्रा खेत तैयार होने पर मिट्टी में मिला दें। यूरिया की शेष मात्रा को दो बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय डालें।

        विधि-2: गोबर की खाद 12:32:16 मिश्रित खाद व म्यूरेट ऑफ पोटाश की सारी मात्रा खेत तैयार होने पर मिट्टी में मिला दें। यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल कलियां बनते समय खेत में डाल दें।

        समय-समय पर खरपतवार निकालते रहें। जब फलियां पीली पड़ जाएं और सूख जाएं तो उनके चटकने से पूर्व फसल की कटाई कर लें व सूखने के लिए रखें। पूरा सुखाने के बाद गहाई व सफाई करके बीज का भण्डारण करें। छोटे पौधों से तथा जिन पौधों में फूल जल्दी या देरी से निकलें, उन्हें बीज की फसल से निकाल दें।

        बीज उपज

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति बीघा

        प्रति कनाल

        अगेती प्रजातियां (कि.ग्रा.)

        500-600

        40-48

        20-24

        पछेती प्रजातियां (कि.ग्रा.)

        300-400

        24-32

        12-16