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agriculture department himachal pradesh logo

Department of Agriculture

Himachal Pradesh

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    Department of Agriculture

      Himachal Pradesh

        बन्दगोभी ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों की एक प्रमुख नकदी फसल है।

        कुल्लू, सिरमौर, शिमला व मण्डी आदि जिलों के कुछ मध्य क्षेत्रों में भी इसे बेमौसमी सब्जी के रूप में लगाया जाता है।

        अनुमोदित किस्में

        किस्में

        विशेषताएँ

        गोल्डन एकड़
        सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म, शीघ्र परिपक्व, पौधा छोटा बाहरी खुले पत्ते 4-5, गोल हरे व छोटे आकार के ठोस शीर्ष (हैड्ज) तथा सबसे अधिक वांछनीय प्रजाति / 60-70 दिनों में तैयार व औसत उपज 225-250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर ।
        पूसा मुक्ता
        यह गोल, ठोस शीर्ष और आकर्षक हल्के रंग की किस्म है।
        यह 85-90 दिनों में तैयार हो जाती है और प्राइड ऑफ इण्डिया से 7 दिन पहले तैयार हो जाती हैं।
        गर्मियों की फसल में 200 क्विंटल और सर्दियों की फसल में 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लगभग उपज मिलती है।
        यह गर्मियों में प्रदेश के क्षेत्र-2 और क्षेत्र-3 में लगाने के लिए उपयुक्त है।
        प्राइड ऑफ इण्डिया
        गोल्डन एकड़ से लगभग एक सप्ताह पछेती, पौधा छोटा लगभग गोल हरे व छोटे से मध्य आकार के ठोस शीर्ष (हैड्स), अधिक वांछनीय प्रजाति / औसत उपज 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
        हिम पालम कैबेज हाइब्रिड-1 (डीपीसीबीएच-1)
        यह एक साइटोप्लाज्मिक मेल स्टेरिलिटी पर आधारित संकर किस्म है।
        बंदगोभी के फूल का आकार गोल तथा औसतन वजन लगभग 750 ग्राम से 1.0 किलोग्राम प्रति शीर्ष होता है।
        यह एक मध्यम परिपक्व संकर किस्म (90-100 दिन) है।
        पैतृक लाइनों और संकर बीज का उत्पादन राज्य की कम ठंडे इलाकों मे किया जा सकता है।
        प्रस्तावित संकर की औसत उपज क्षमता 330-350 क्विंटल / हैक्टेयर है।
        इस किस्म को राज्य के सभी क्षेत्रों के लिए अनुमोदित किया गया है।
        बन्दगोभी की खेती

        निवेश सामग्री

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति बीघा

        प्रति कनाल

        बीज (ग्राम)

        500-700

        40-55

        20-28

        गोबर की खाद (क्विंटल)

        200

        16

        8

        विधि-1

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        260

        21

        10.5

        सुपरफॉस्फेट (कि. ग्रा.)

        625

        50

        25

        म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि. ग्रा.)

        85

        7

        3.5

        विधि-2

        12:32:16 मिश्रित खाद (कि. ग्रा.)

        310

        25.0

        12.5

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        180

        14.0

        7.0

        खरपतवार नियन्त्रण

        स्टाम्प (लीटर) या

        3

        240 मि. ली.

        120 मि.ली.

        वैसालिन (लीटर) या

        2

        160 मि. ली.

        80 मि. ली.

        गोल (मि. ली.)

        600

        50 मि. ली.

        25 मि. ली.

         

        बिजाई व रोपाई

        सबसे पहले बंदगोभी की पौध तैयार की जाती है। नर्सरी बीजाई का उचित समय इस प्रकार है :

        निचले क्षेत्र

        अगस्त-सितम्बर

        मध्य क्षेत्र

        अगस्त-सितम्बर, फरवरी-मार्च

        ऊंचे क्षेत्र

        अप्रैल-जून

         

        जब पौध 4-5 सप्ताह की (10-12 सैंटीमीटर ऊंची) हो जाए तो उसकी समतल खेत में रोपाई कर दें। रोपण के पश्चात तुरन्त सिंचाई कर दें। पौधों को निम्नलिखित दूरी पर लगाएं :

        अगेती प्रजाति

        45×30 सें. मी. व 45×45 सै. मी.

        पछेती प्रजाति

        60×45 सै. मी.

        सस्य कियाएं

        विधि -1 : खेत को अच्छी तरह जोत लें तथा गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व म्यूरेट आफॅ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की एक तिहाई मात्रा खेत तैयार करते समय डाल दें। यूरिया की शेष मात्रा को रोपाई के एक महीने बाद व शीर्ष क्रिया आरम्भ होने पर डालें ।

        विधि-2 गोबर की खाद व 12:32:16 मिश्रित खाद की सारी मात्रा खेत तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में निराई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी शीर्ष आने के बाद डालें।

        किसी भी अनुमोदित खरपतवारनाशी दवाई का छिड़काव, रोपाई के 1-2 दिन पहले कर दें। स्टॉम्प का रोपाई के बाद भी छिड़काव किया जा सकता है।

        बंदगोभी की जड़ें कम गहरी होती हैं इसलिए पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है।

        यदि पत्तों पर पीलापन दिखाई दे तो यूरिया (100-150 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का छिड़काव करें। यदि खरपतवारनाशी दवाई का छिड़काव न किया गया हो तो निराई-गुड़ाई पर विशेष ध्यान दें।

        वर्षा ऋतु में पौधों के पत्तों व शीर्ष पर घोघे अथवा स्नेलज (फिल्ले) चढ़ जाती हैं। जिसके कारण बंदगोभी के शीर्ष बाहर से गंदे हो जाते हैं तथा उपभोक्ता ऐसे शीर्षो को पसन्द नहीं करते हैं। फिटकरी के घोल (200 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का छिड़काव करने से घोंघे पौधों पर नहीं चढ़ते है। सिंचाई आवश्यकतानुसार करते रहें।

        खाद व उर्वरक

        निवेश सामग्री :

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति बीघा

        प्रति कनाल

        गोबर की खाद (क्विंटल)

        200

        16

        8

        विधि-1

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        250

        20

        20

        सुपरफॉस्फेट (कि. ग्रा.)

        625

        50

        25

        म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि. ग्रा.)

        85

        7

        3.5

        विधि-2

         

         

         

        12:32:16 मिश्रित खाद (कि.ग्रा.)

        310

        25

        12.5

        यूरिया (कि. ग्रा.)

        180

        14

        7

         

        सस्य कियाएं

        विधि -1 : गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व म्यूरेट आफॅ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की एक-तिहाई मात्रा बन्दगोभी तैयार होने पर मिट्टी में मिला दें। यूरिया की शेष मात्रा को दो बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय डालें।

        विधि-2: गोबर की खाद व 12:32:16 मिश्रित खाद की सारी मात्रा बन्दगोभी तैयार होने पर मिट्टी मे मिला दें। यूरिया खाद को बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय खेत में डाल दें।

        अवांछनीय पौधों का निष्कासन (रोगिंग) वनस्पतिक वृद्धि, शीर्ष बनने पर तथा पुष्पन अवस्था में करें। समय-समय पर खरपतवार निकालते रहें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। जब अधिकतर फलियां भूरे-पीले रंग की हो जाएं तो शाखा सहित काट लें तथा पूर्ण परिपक्व होने के लिए लगभग एक सप्ताह तक ढेरों में रखें तथा 2-3 दिन के अन्तर पर टहनियां को ऊपर नीचे करते रहें। पूरा सूख जाने पर बीज को अलग करके सुखा लें।

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति बीघा

        प्रति कनाल

        अगेती प्रजातियां (कि.ग्रा.)

        500-600

        40-48

        20-24

        पछेती प्रजातियां (कि.ग्रा.)

        700-750

        55-60

        28-30

         

        कटाई एवं उपज

        ठोस फूलों के शीर्ष जमीन की सतह से चाकू या दराती से काट लें। खुले पत्तों और तने को काट कर शीर्ष को अलग कर लें। यदि विपणन मंडी दूर स्थित हो तो कुछ बाहरी खुले पत्तों को शीर्ष के साथ रहने दें ताकि परिवहन के समय शीर्षो को कम क्षति पहुंचे।

        उपज

         

        प्रति हैक्टेयर

        प्रति बीघा

        प्रति कनाल

        अगेती प्रजातियां (क्विंटल)

        250-300

        20-24

        10-12

        पछेती प्रजातियां (क्विंटल)

        400-500

        32-40

        16-20

        बीज उत्पादन

        बन्दगोभी समशीतोष्ण फसल है अतः अच्छा बीज तैयार करने के लिए तथा फूल डंठल निकलने व फूलों के निकलने के लिए ठंडे तापमान 7 डिग्री सैल्सियस से कम की आवश्यकता होती है जो केवल ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों (किन्नौर, भरमौर, लाहौल घाटी, ऊपरी कुल्लू घाटी आदि) में ही मिल पाता है। बन्दगोभी परपरागी फसल है तथा अन्य गोभीवर्गीय सब्जी फसलों के साथ भी इसका परपरागण हो जाता है। इसलिए प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए, गोभी वर्गीय किन्हीं भी दो प्रजातियों के बीच कम से कम 1000 मीटर का अन्तर अवश्य रखें । बीज उत्पादन के लिए उचित समय पर नर्सरी बीजाई व पौध रोपाई का अत्यन्त महत्व है क्योंकि ठोस शीर्ष (हैड्ज) बर्फ पड़ने से पहले ही बन जाने चाहिए। अनुमोदित समय इस प्रकार है :

         

        नर्सरी बिजाई

        रोपाई

        अगेती प्रजातियां

        जुलाई

        अगस्त

        पछेती प्रजातियां

        जून

        जुलाई

         

        नौहराधार (सिरमौर) व कटराई (कुल्लू घाटी) क्षेत्रों में शीर्षों को खेत में ही रहने दिया जाता है परन्तु लाहौल व किन्नौर आदि क्षेत्रों में जहां बर्फ बहुत अधिक पड़ती है, शीर्षो को 2×1×1 मीटर की नाली या खाती में, बाहर के खुले पत्तों को निकाल कर एक परत के रूप मे रखा जाता है तथा दोनों ओर वायु के आगमन के लिए छिद्र रखे जाते हैं। बर्फ पिघलने पर (मार्च-अप्रैल) इन शीर्षो की पुनः खेत में रोपाई की जाती है। शीर्षों पर बसन्त ऋतु के आरम्भ में चाकू से क्रॉस कट (लगभग 3 सेंटीमीटर गहरा) लगाने से फूल डंठल शीघ्र निकल आते है।