प्रदेश की मुख्य फसलों जैसे गेहूँ, मक्की, धान, जौ को प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि आग, आसमानी बिजली, सूखा, शुष्क अवधि, बाढ़, जल भराव, ओलावृष्टि, चक्रवात, तूफान, भूसंखलन, बादल फटना, कीट व रोगों आदि से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति हेतु ”प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’ में शामिल किया गया है। (केन्द्रीय हिस्सा: राज्य हिस्सा, 90:10)
इसके अलावा अगर किसान कम वर्षा या प्रतिकूल मौसमी व्यवहार के कारण समय पर बुवाई नही कर पाता है तो भी उसे बीमा आवरण मिलेगा।
इसके साथ-2 इस योजना में कटाई के उपरांत खेत में सुखाने हेतु रखी फसल यदि 14 दिन के भीतर चक्रवाती बारिश, चक्रवात, ओलावृष्टि व बेमौसमी बारिश के कारण खराब हो जाती है तो क्षतिपूर्ति का आकंलन खेत स्तर पर ही किया जायेगा।
- प्रीमियम की दर किसानों के लिए बीमित राषि के अनुसार खरीफ मौसम के लिए 2 प्रतिशत व रबी मौसम के लिए 1.5 प्रतिशत रखी गई है। ऋणी व गैर ऋणी किसानों के लिए यह योजना स्वैच्छिक है।
योजना के अन्तर्गत सभी ऋणी किसानों का वित्तिय संस्थाओं द्वारा स्वतः ही बीमा कर दिया जायेगा। यदि कोई ऋणी किसान इस योजना का लाभ नहीं उठाना चाहते हैं तो वह इस बारे में अपना घोषणा पत्र सम्बन्धित बैंक में साल में कभी भी जमा करवा सकता है। परन्तु यह घोषणा पत्र ऋणी किसान को सम्बन्धित बैंक शाखा को सम्बन्धित मौसम की बीमा करवाने की अन्तिम तिथियों से 7 दिन पूर्व तक देना होगा।
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इसके अतिरिक्त खरीफ मौसम में चुने हुऐ खंडो में आलू, टमाटर, अदरक, मटर, बंदगोभी, फुलगोभी, ब्रौकली, शिमला-मिर्च की फसलों को पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल किया गया है। उसी प्रकार रबी मौसम में लहसुन, टमाटर, आलू, शिमला-मिर्च, मटर, बंदगोभी, फुलगोभी की फसलों को पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत ओलावृष्टि के मानक को भी अधिसूचित फसलो केे लिए खरीफ 2023 मौसम से सम्मिलित किया गया है।
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पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत किसानों के लिए प्रीमियम की दर बीमित राशि पर अधिकतम 5 प्रतिशत रखी है। यदि प्रीमियम दर 5 प्रतिशत से अधिक होती है तो वह केन्द्र सरकार व राज्य सरकार 90ः10 के अनुपात में वहन करेगी।
अब तक इन योजनाओं के अंर्तगत खरीफ 2016 से खरीफ 2022 तक 4,98,738 किसानोें को 96.24 करोड़ रूपये मुआवजे के तौर पर देकर लाभान्वित किया गया है।