✉  krishibhawan-hp@gov.in       ☎ 0177-2830162

✉  krishibhawan-hp@gov.in       ☎ 0177-2830162

agriculture department himachal pradesh logo

Department of Agriculture

Himachal Pradesh

    agriculture department himachal pradesh logo

    Department of Agriculture

      Himachal Pradesh

        Schemes

        मुख्यमन्त्री कृषि संवर्धन योजना

        ‘विशेषज्ञ समूह’ की सिफारिशों के अनुसार, विभाग के अर्न्तगत चलाई जा रही 8 योजनाओं, जिनका उद्देश्य एक समान है तथा गतिविधियां की पुनरावृति को बचाने के लिए उनका विलय कर वर्ष 2022-23 में एक योजना “मुख्यमन्त्री कृषि संवर्धन योजना” बनाई गई है। योजना के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 33.67 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान है।

        योजना के विभिन्न घटक निम्न प्रकार से हैं:

        1. समूह आधारित सब्जी उत्पादन योजना
        2. आदान आधारित उपदान योजना (बीज, पौध संरक्षण सामग्री व खाद)
        3. बीज गुणन श्रृंखला की सुदृढता
        4. प्रयोगशालाओं की सुदृढ़ता

        1. समूह आधारित सब्जी उत्पादन योजना:

        सामान्य व हरी पत्तेदार सब्जियां आवश्यक तत्व व विटामिन इत्यादि प्रदान करती हैं तथा मनुष्यों के भोजन व पोषण सुरक्षा का प्रमुख हिस्सा है, जो कि सतत विकास लक्ष्य-2 “भुखमरी समाप्ति” (ZERO HUNGER) को प्राप्त करने में सहायता करेगा।

        पूर्व में कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओ के अन्तर्गत प्रदेश में 87000 हैक्टेयर क्षेत्र सब्जी उत्पादन के अन्तर्गत लाया गया, जो कि कुल जोत क्षेत्र का 16% है। जबकि इसमें 1,63,000 हैक्टेयर क्षेत्र तक विस्तार की संभावना है जो कि कुल जोत क्षेत्र का 30% है। अतः प्रदेश में सब्जी उत्पादन के संम्पूर्ण सामर्थ्य का दोहन करने के लिए विभाग द्वारा सब्जी उत्पादन को चरणवद्ध तरीके से पूरे प्रदेश को सम्मिलित करने हेतु “समूह पद्धति” को प्रस्तावित किया गया है। इस पद्धति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में आर्थिकी स्पर्धात्मक सब्जी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना तथा किसानों की आय को बढ़ाना है। ये दृष्टिकोण ग्रामीण युवाओं व कृषक महिलाओं को कृषि व्यवसाय तथा लघु-उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। इस घटक के अन्तर्गत जिला स्तर पर समूह पहचान की गई है, जिसके अन्तर्गत जनवरी 2023 में गतिविधि आरम्भ कर दी जाएगी।

        2. आदान आधारित उपदान योजना (बीज, पौध संरक्षण सामग्री व खाद):

        (क) बीज – बीज एक महत्वपूर्ण बुनियादी आदान है जो फसलों के उत्पादन व उत्पादकता को सुनिश्चित करता है। फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सभी वर्गों के किसानों को अनाजों, दालों, तिलहन व चारा फसलों के बीजों पर 50% अनुदान जबकि आलू, अदरक व हल्दी के बीज पर 25% अनुदान देकर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अन्तर्गत वर्ष 2022-23 के लिये 7.29 करोड़ रू. का प्रावधान रखा गया, जो सभी जिलों द्वारा पूर्णत उपयोग कर दिया गया है। वर्ष 2023-24 में 19.77 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है।

        (ख) खाद – खाद अन्य महत्वपूर्ण आदान हैं जिसका उत्पादन को सुनिश्चित करने में बहुत योगदान है। किसानों को संतुलित खादों के उपयोग हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा मिश्रित खादों पर उपदान प्रदान करने के लिए नीति बनाई गई है, वर्ष 2022-23 के लिये 4.60 करोड़ रुपये खादों पर उपदान हेतू सभी जिलों को आबंटित किये जा चुके हैं।

        (ग) पौध संरक्षण सामग्री – फसलो में कीटों व बिमारियों के प्रकोप के कारण लक्षित उत्पादन को प्राप्त करने मे रूकावट होती है। पीड़कों की संख्या व बिमारियां को आर्थिक क्षति स्तर से नीचे रखकर, क्षति को कमतर करने के लिए उपयुक्त नियंत्रण उपाय अपनाने हांगे। प्रदेश सरकार ने राज्य प्रायोजित योजनाओं के अन्तर्गत फसलों के बचाव हेतु गैर-रसायनिक विधियों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। अतः कीट ट्रैप,ल्योर, जैव नियंत्रक, जैविक कीटनाशकों व वानस्पतिक नियंत्रक इत्यादि पर सभी वर्गो के किसानों को 50% प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया है।

        3. बीज गुणन श्रृखंला को मजबूत बनाना:

        वर्तमान में कुल 464 हेक्टेयर क्षेत्र के 36 विभागीय फार्म हैं। जिसमें से 227 हेक्टेयर खेती योग्य क्षेत्र विभिन्न फसलों जैसे धान, माश, सोयाबीन, गेहूं, बीज आलू, राजमाश आदि के अतंर्गत है। इन सरकारी फार्मो पर विभिन्न फसलों के लगभग 17000 क्विंटल आधार बीज का वार्षिक उत्पादन किया जाता है, जो राज्य के प्रगतिशील किसानों द्वारा प्रमाणित बीज के रूप में आगे बढ़ाया जाता है। बीज वृद्वि एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है तथा बीज श्रृंखला का अभिन्न अंग है, जो राज्य को बीजों के लिए आत्मनिर्भर राज्य के रूप में विकसित होने मे सहायक होगा तथा पड़ोसी राज्यों से बीज खरीद पर निर्भरता को भी कम करेगा ।

        उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, किसान समुदाय के हित में गुणवता पूर्ण बीज उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए, आवश्यक धन राशि आबंटन व जनशक्ति प्रदान कर राज्य के सरकारी फार्मो का सुदृढ़िकरण किया जायेगा। वर्ष 2022-23 में मु. 171.50 लाख रुपये विभाग के फार्मों की विभिन्न गतिविधियों पर खर्च किये गये। वर्ष 2023-24 में इस घटक के अंतर्गत 1.28 करोड़ रुपये आबंटित किये गये हैं।

        4. प्रयोगशालाओं का सशक्तिकरण (उर्वरक परीक्षण, मृदा परीक्षण, जैव नियत्रंण, बीज परीक्षण, जैव उर्वरक और राज्य कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशाला):

        कृषि विभाग, 11 मृदा परीक्षण, 3 उर्वरक परीक्षण और 3 बीज परीक्षण, 2 जैव नियंत्रण, एक राज्य कीटनाशक परीक्षण और एक जैव उर्वरक उत्पादन व गुणवता नियत्रंण प्रयोगशाला संचालित कर रहा है। मृदा स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए कृषि विभाग किसानों को मृदा जांच निःशुल्क उपलव्ध करा रहा है। इसके अलावा किसानों को गुणवतापूर्ण आदान प्रदान करने के लिए, गुणवता नियंत्रण प्रयोगशालाएं जैसे बीज, उर्वरक और कीटनाशी इत्यादि राज्य में चलाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, कीट नियंत्रण की गैर रसायनिक विधियों को बढ़ावा देने के लिए जिला कांगड़ा और मंडी में 2 जैव नियंत्रण प्रयोगशालाएं कार्यरत है। ये प्रयोगशालाएं किसानों के खेतो में बायो एजेंट, जैव कीटनाशकों, टै्रप्स और ल्योर आदि के प्रयोग का निःशुल्क प्रदर्शन लगाते है। वर्ष 2023-24 में 43.25 लाख रुपये आबंटित किये गये हैं।